माधुरी




।। राधे राधे ।।

प्रिय ऊषा,

सप्रेम स्मरण

रिश्ते बनते हैं, ऊपर से
मित्रता होती हैं, धरती पर।

रिश्ता एक गुलदस्ता है, जिसे
सवांरने का रास रखना होता है
मित्रता एक उपवन है जहॉँ
स्वेच्छा निश्चिन्त विचरण होता है ।

दोस्ती हा हाथ थामने के
लिए कोटिश स्नेह सदभाव

तुम्हारी
माधुरी

 

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